नारायण सिंह (धामी) थापा

नारायण सिंह (धामी) थापा (Narayan Singh (Dhami) Thapa)

(माताः स्व. जसुली देवी, पिताः स्व. गजाई सिंह धमी)

जन्मतिथि : 1924

जन्म स्थान : मड़ मानले

पैतृक गाँव : मड़ मानले जिला : पिथौरागढ़

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र

शिक्षा : प्राथमिक शिक्षा- मड़ मानले व गड़ीगांव

डी.ए.वी. स्कूल शिलांग; सनातन धर्म हाईस्कूल, क्वेटा

आर्मी स्कूल ऑफ एजूकेशन, पंचमढ़ी

आर्मी पब्लिक रिलेन्स स्कूल ऑफ फोटोग्राफी, कलकत्ता

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रिेशन, नई दिल्ली

अलंकरणः पद्मश्री।

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः सेना में जिस दिन मुझे बंदूक थमा कर युद्ध में भेजने के बजाय सैनिकों की अशिक्षा से लड़ने वाला शिक्षक बना दिया गया। जिस दिन मैं युद्ध कैमरामैन के लिए प्रशिक्षित हुआ और 1944 में युद्ध संवाददाता के बतौर बर्मा के मोर्चे पर भेजा गया। और जिस दिन पं. जवाहरलाल नेहरू ने मुझे भारत के पहले प्रधानमंत्री के सोवियत यूनियन के दौरे के फिल्मांकन के लिए चुना।

प्रमुख उपलब्धियां : अनेक चर्चित न्यूज रीलों व डाक्यूमेंटरी फिल्मों का निर्माण; डिबू्रगढ़ बाढ़ पर बनाई गई फिल्म और ‘मित्रता की यात्रा’ अत्यंत चर्चित और प्रसंशित हुईं; ‘कांगड़ा और कुल्लू’ तथा ‘बर्फ का गीत’ फिल्मों को राष्ट्रपति स्वर्णपदक प्राप्त हुआ; फिल्म ‘एवरेस्ट’ को सर्वोत्तम फिल्म का पुरस्कार मिला। 1980 में लोक सेवा आयोग ने फिल्म प्रभाग के चीफ प्रोड्यूसर पद के लिए चयनित किया। प्रभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती नवें एशियाई खेलों पर फिल्म बनाने की थी। मुझे सेवा विस्तार देकर यह काम सौंपा गया। इस काम की उल्लेखनीय सफलता के लिए मुझे पद्मश्री सम्मान दिया गया। सेवानिवृत्ति के बाद तत्कालीन प्रधनमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम तथा जवाहरलाल नेहरू पर फिल्मों की श्रृंखला बनाने का अवसर मिला। सेवानिवृत्ति के बाद मैंने भारतीय खेल प्राधिकरण के सलाहकार के रूप में भी काम किया। 1983 में भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन ने पर्वतारोहण के लिए की गई मेरी सेवाओं को देखते हुए फाउंडेशन का सदस्य चुना। आत्मकथा ‘बाँय फ्रॉम लम्बाटा’ ‘पहाड़’ द्वारा प्रकाशित।

युवाओं के नाम संदेशः आपको सौंपे गए किसी भी काम के लिए ‘नहीं’ मत कहो। देश और समाज की सेवा के लिए किसी भी चुनौती को उठाने के लिए तैयार रहो। तुम्हारा लक्ष्य होना चाहिए, ‘मैं इसे कर सकता हूँ और मैं इसे करूंगा’। उत्तराखण्डवासियों के लिए एक चेतावनी भी कि शराब से अपने परिवार और समाज को बर्बाद न होने दें।

विशेषज्ञता : डाक्युमेंटरी, फिल्म, पर्वतारोहण।

 

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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